न खत्म होता समय
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आओ की न ख़त्म होती तुम
न खत्म होता मै
ठहरो न खत्म होता समय
न खत्म होते तुम
न खत्म होती वेदना
न खत्म होता समय
हम रहे ना रहें
नही खत्म होती संभवना
न खत्म होती अस्मिता
तुम सृष्टि भी नहीं
तुम आकाश भी नहीं
की तुम संभवना हो
जो कभी खत्म नही होती
सत्य की तरह
जो कभी खत्म नहीं होती
कितने सरल शब्दों से जीवन को उद्देश्य पूर्ण बनाना सीखा जाती हैं आपकी ये पंक्तियाँ ..
ReplyDeleteसादर
वाह बहुत खूब
ReplyDeletebehatarin panktiyan
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