समसामयिक राजनितिक परिदृश्य में सिर्फ आत्म अनुशासन और नैतिक प्रवित्तियो को विकसित कर हम समस्त भारत के उज्जवल भविष्य के का निर्माण कर सकते है ! इसके लिए हम सब को आत्मविश्लेषण की प्रक्रिया अपनानी होगी ! विशिष्ट और आम के बीच एक सेतु के रूप में उभरना होगा,समता आपसी भाईचारा और हमारी अतीत की गौरवशाली परम्परा को पुन:कायम करना होगा !टूटते हुए संयुक्त परिवार की अवधारणा को पुन: प्रतिस्थापित करना होगा जहाँ से हमारे व्यक्तित्व का विकाश होता था ? आतीत के क्षरित होती संस्थाओं को पुनर्जीवित करना होगा !सरकार के कार्यक्रम और नीतियों आत्मनिर्भर ग्रामसमुदाय को प्राथमिकता देनी होगी !
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