कौन गीत गाऊं ?
आज मन के तार से कौन गीत गाऊं ?
राग भैरवी या अलाप
जीवन का झरना और उसका कलरव
कैसे गुनगुनाऊं ?
झरते हुए जीवन के प्रपात के पैने पन को
फिर से दोहराऊं ?
या रोऊँ हसूं या गाऊं
कौन सा गीत गाऊं ?
जीवन नृत्य नहीं
नृत्य की थाप पर जीवन के कोण बनाता
उस पर रोऊँ या गाऊं ?
अतीत को देखूं और मुस्कुराऊं
गाते हुए जीवन में कि कड़ी में
कड़ियाँ जुडाता जाऊं
निर्भीक ,निर्भार ,जीवन का गीत बन
गीत बनूं
और गुनगुनाऊं
कौन सा गीत गाऊं ?
गीत वही जो तरंग हो
ReplyDeleteजो जीवन में उमंग हो
गीत वो जो ,बचपन हो
जो यौवन में मदमस्त हो
गीत वो जो कुछ तेरा तो
कुछ मेरा हो ...कुछ संग संग ...तरंग तरंग ||...अंजु (अनु)
बहुत सुंदर रचना...
ReplyDeleteवाह बेहद खूबसूरत रचना |
ReplyDeleteअतीत को देखूं और मुस्कुराऊं
ReplyDeleteगाते हुए जीवन में कि कड़ी में
कड़ियाँ जुडाता जाऊं
....very nice....
bahut sundar rachna..!!
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDelete:-)
बहुत सुन्दर प्रस्तुति बहुत बधाई आपको
ReplyDeletehttp://bulletinofblog.blogspot.in/2012/12/2012-4.html
ReplyDeleteजीवन की परिभाषा से बाहर जीवन की कहानी! शानदार.
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