क्या लिखूं ?
जब कहीं कोई समस्या ही नहीं
जब संवेदना ही नहीं
तो
कविता कैसे करूँ?
कैसे
रोऊँ जब आँख ही नहीं?
क्यों रोऊँ जब भावना ही नहीं
धर्म
अब निरपेक्ष है
सब
कुछ सापेक्ष है
स्वतंत्रता
को परिभाषित करने वाला मै कौन
नैतिकता
का पाठ पढ़ाने वाला मै कौन
त्याग
तप,संयोग,दुर्योग,का मै कौन
उपदेशक
क्यूँ मौन ?
सत्य
अब सत्य नहीं
दृष्टि
दोष
मै
क्यों करूँ उद्घोष
हूँ
कौन ?......
सत्य अब सत्य नहीं .. यही सत्य है .. मोह रूपी मिथ्या में जी रहे है ..यही सत्य है
ReplyDeleteकैसे रोऊँ जब आँख ही नहीं?
ReplyDeletesach kaha .gajab ki shoonyata bher gayi hai charo taraf . na koi moolya hai , na koi siddhant .fir bhi likhna to padega , suna hai andhe bhi braille . kaun karega , yadi ham nahi , aap nahilipi , padh lete hai . logo ko samaj ko jagana to padega hi
सत्य अब सत्य नहीं
ReplyDeleteदृष्टि दोष
मै क्यों करूँ उद्घोष
हूँ कौन ?......
वाह अनुपम
सत्य अब सत्य नहीं
ReplyDeleteदृष्टि दोष
मै क्यों करूँ उद्घोष
हूँ कौन ?......प्रभावशाली अर्थपूर्ण ...
mulyo ki mitati hui parakashta ..,kshirn hote hue ahsas evem
ReplyDeletebodh, asha ki dubti hui kiran ..., ... yatharth ka parichay deti hui bahut hi bhavpurn rachna..!!
waah bahut sundar .......sahi behtreen kavita
ReplyDeletebahut khoob very nice.
ReplyDeleteमैं हूँ या नहीं ......के बीच के कशमकश की बेहतर कविता ...बहुत खूब
ReplyDeletehttp://kuchmerinazarse.blogspot.in/2012/10/blog-post_31.html
ReplyDeleteरश्मि जी -मुझे आकृति देने के लिए आभार ...
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ReplyDeleteसमस्या कैसे
ReplyDeleteजब संवादना ही नहीं
Outclass
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