प्रश्न के साथ उत्तर भी सन्निहित
संवेदना की प्रकृति
परिभाषा
परिभाषित करती संवेदनात्मक सत्य को
संवेदना परिभाषित नहीं
तथ्य से जोडती एक पहेली है
जो उद्द्घाटित कर ही देता है
अंतरतम के सत्य को
अस्तित्व के जाल से गुंथें व्यक्तित्व को
मकड़ी के जाल की तरह
उलझ कर रह जाता है
स्वयं से त्रस्त
त्रासद जीवन
उजागार कर ही देता है
संवेदनात्मक सत्य को
अच्छा दर्शन है
ReplyDeleteबहुत ख़ूब..
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