Tuesday, January 17, 2012

सामाजिक नियोजन

-व्यक्तिवाद एक प्रवृत्ति है जब की लोकतंत्र सामाजिकता को मजबूत करने वाली जीवन पद्ध्यती.सामाजिक नियोजन और पुनर्निर्माण आम व्यक्ति और ख़ास व्यक्ति की खायी को पाटता हुआ सामूहिक जीवन शैली को प्रवृत्त करता है.युद्ध उन्माद की अभिव्यक्ति है जो असफल सामंजस्यन की कड़ी में व्यक्तिवादी अहम् का प्रतिनिधत्व करता दिखाई पड़ता है जिसके केंद्र में सामूहिकता की अगोचर स्थति होती है अत:थोपा हुआ लगता है जो मानवता द्वारा सर्वस्वीकृति नहीं.लोकतंत्र सामूहिकता की स्वीकृति है.,(लोकतंत्र सामाजिकता को स्वीकार नहीं करता या तत्कालीन समाज में लोकतान्त्रिक जीवन पद्ध्यती का अनुसरण द्रष्टव्य नहीं है यह यक्ष प्रश्न है जिसका उत्तर सामाजिक नियोजन और पुनर्निर्माण की प्रक्रिया में ही गोचर है),राष्ट्रवाद एक भावना है जो मानवतावाद का अनुज है !समाज एक सतत प्रवाह है परिवर्तन अगोचर है. समाज परिवर्तन की प्रक्रिया की तरफ प्रवृत्त है ! इतिहास आत्मचिंतन का विषय है और निष्कर्षों द्वारा नए आयाम को प्राप्त करने के सामाजिक उपाय.सामाजिक पुनर्निर्माण में निरन्तरता पायी जाती है इतना अवश्य है की समाज में पुनर्निर्माण की प्रक्रिया कभी तेजी के साथ चलती है तो कभी धीमी गति से अत:समाज के लक्ष्यों के अनुसार इस प्रकार बढना चाहिए की अधिकतम व्यक्तियों की हितपूर्ति संभव हो सके और हम सब स्थापित मानवता को और मुखर कर सकें...

4 comments:

  1. Ati sundar vichar...
    vyaktiwad, loktantra, samajwad,yuddh, rashtrawad aur manvta aadi ka uttam vishleshan....!!!

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  2. गुरुवर आपके विचार स्तुतिया है !पतन की और बढ़ते भारतीय समाज और संस्कृति की रोकथाम के लिए यह सहायक सिद्ध होगा !समाज में परिवर्तन होता है पर वह मार्गदर्शको के आभाव में सही दिशा में नहीं हो पाता है ! में आपके सत्य को पूरा समर्थन देता हु ! चरण वंदन स्वीकार करे !

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