१.भारत की अद्दोयोगिक निति में सार्वजानिक क्षेत्र के उपक्रम को निजी क्षेत्र के उपक्रम के समक कक्ष प्रतिस्पर्धा में लाना एवं सार्वजानिक क्षेत्र के उपक्रमों को पुनर्जीवित करना,
२. रोजगार के अधिकार को मौलिक अधिकार में सम्मिलित करना,मेरा दृढ मत है कि भ्रष्टाचार का मूल जड़ वेरोजगारी है,इस विषय को लक्ष्य में भी रखा जा सकता है
३.देश की शिक्षा व्यवस्था कार्पोरेट के हाँथ से लेकर पूरी तरह से सरकारीकरण किया जाना आपेक्षित है,अगर हमारी अर्थव्यवस्था इसके अनुकूल नहीं है तो जबकभी भी शिक्षा को निजी हांथों में दिया जाय उस पर सरकारी नियंत्रण आवश्यक है ख़ास तौर पर फीस और पाठ्यक्रम निर्धारण में सरकार का हस्तक्षेप अपरिहार्य है.
४ निजी क्षेत्र को अधिक से अधिक देश के आधारभूत ढांचें के विकाश के लिए आमंत्रित किया जाय,
५.चिकित्सा के लिए आम आदमी बीमा योजना शुरू किया जाय जिससे उनको मुफ्त चिकित्सा सुविधा मिल सके राजस्व कि उगाही के लिए शुल्क में वढ़ोत्तरी विचार विमर्श के वाद में किया जा सकता है,निजी क्षेत्र के चिकित्सालय तात्कालिक प्रभाव से बंद किया जाना आपेक्षित होगा,
६.ऊर्जा किसी भी देश कि लाईफ लाईन है अत: परमाणु ऊर्जा से अधिक विजली बनायीं जा सकती है अत: परम्परागत ऊर्जा के स्त्रोत के साथ ही साथ परमाणु ऊर्जा पर बल दिए जाने कि आवश्यकता है।
६ सभी उच्च न्यायलय एवं उच्तमन्यायालयों के न्यायाधीशों कि नियुक्ति बार एसोसिएसन के माध्यम से किया जाना आपेक्षित है,न्यायपालिका के लोग ही न्यायाधीशों कि नियुक्ति करें यह राजनितिक वर्चस्व से मुक्त हो
७.सभी कानून जो संविधान २६जनवरी १९५० लागू होने के पहले के बने है उन्हें पुन:संसद में चर्चा करा कर आवश्यक संसोधन कर लागू किये जाने आपेक्षित है
८. नागरिकों में कानून का शासन है के लिए ला आफ टार्ट को इम्प्लीमेंट किया जाय जिससे नागरिको में नागरिक मानसिकता का विकाश होगा,भारत में ला आफ टार्ट एप्लीकेबल नहीं है उसे एप्लीकेबल कराया जाय
९ हर कीमत पर अनुसंधान से जुड़े व्यक्तियों को सबसे उच्च वेतनमान उच्तम सुविधाएं दिया जाना आपेक्षित है, जिसके प्रसाशनिक आवश्यकताओं कि प्रतिपूर्ति उन अनुसंधान से जुड़े व्यक्तियों या उनके समूहों द्वारा किया जाना अपेक्षित है एवं उनका मुखिया भी अनुसंधान से जुड़े वैज्ञानिक ही हों
१०.किसानों कि जमींन और जोत के आधार पर उनके आय का निर्धारण किया जाना आपेक्षित है और कृषि को भी इनकम टैक्स के दायरे में लिया जाना आपेक्षित है
११. आत्मनिर्भर ग्राम समुदाय पर बल दिये जाने कि आवश्यकता है,गाँव में विजली,सवस्थ्य और शिक्षा कि उचतम व्यवस्था किया जाना अपरिहार्य है उसके लिए गाँव के परम्परागत कार्यों जिसमे (लोहार ) लोहे के कार्य करने वाले,(बढ़ई )लकड़ी के कार्य करने वाले लोग,(कहार) जो मिटटी के वर्तन का निर्माण करते है,धोबी-कपड़ा धोने वाले,चिन्हित कर जो भी परम्परागत कार्य में सलंग्न रहने वालें लोग है उन्हें वित्तीय सहयता दिए जाने कि आवश्यकता है.हर गाँव में अपने खेत खलिहान तक पहुचने के लिए रास्ते का निर्माण कराया जाय,इस दिशा में पंजाब प्रदेश के गाँओं का अनुकरण किया जा सकता है,खासकर सिचाई एवं कृषि उत्पादों के विपणन के लिए भारत के हर गाँव का विकाश मॉडल उपयुक्त होगा।
१२.पशुधन एक अनिवार्य हिस्सा है अत: पशुपालन पर ध्यान आपेक्षित है
१३. भारत की अर्थव्यवस्था का विकाश इस मॉडल पर किया जाना आपेक्षित है कि मानव श्रम और पूंजी के सहयोग के आधार पर विश्व बाजार में भारत कि भागीदारी विश्व बाजार के लिए निर्णायक हो
१४.जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए उचित कदम उठाये जायं,
१५ संविधान में संशोधन कर नागरिको के मौलिक अधिकार को एक्सेप्ट प्रेसक्राइब्ड प्रोसीजर आफ ला कि जगह ड्यू प्रोसेस आफ लॉ बनाया जाय जो अमरीकी संविधान का महत्वपूर्ण अंग है,इस पर गहन विचार किये जाने कि आवश्यकता है.
१६. क्वासी जुडिसियल कोर्ट से लेकर सभी अधिनस्त न्यायालयों एवं उच्च न्यायालयों एवं उच्च तम न्यायालयों तक सभी बार एसोसिएशन के सदस्यों में सभी बादों को प्रत्येक अधिवक्ताओं में सामन्य रूप से केश का आवंटन किया जाय,यह आवंटन उस न्यायालयों में कार्य कर रहे अधिवक्ता को रजिस्ट्री के माध्यम से किया जाय,हर अधिवक्ता को एक वर्ष में कितने केसेज का डिस्पोजल करना है को लक्ष्य बनाया जाय,इससे हर अधिवक्ता को सामान्य रूप से सरकार कि तरफ से कार्य भी मिलेगा और बाद शुल्क जो बादी द्वारा जमा कराया जाएगा उससे उस अधिवक्ता के कार्य को दृष्टिगत रखते हुए उसकी फीस दी जाय, इस प्रक्रिया के अपनाने से न्याय सस्ता और त्वरित होगा,क्योकि प्रत्येक अधिवक्ता को केश का डिस्पोजल करना आवश्यक होगा, साथ ही न्यायाधीशों के जितने भी रिक्त पद हैं उन्हें तत्काल प्रभाव से भर दिया जाय,न्यायाधीशों कि कमी और केसेज के कुछ अधिवक्ताओं के हाँथ में होने से न्याय प्रक्रिया में देरी हो रही है न्याय प्रक्रिया से जुड़े तमाम अधिवक्ताओं के पास केसेज नहीं है न ही सरकार द्वारा उनके लिए समुचित आर्थिक प्रबंध ही किये गएँ हैं,इस पर विचार किये जाने कि आवश्यकता है
१७. विदेश निति में जो स्थापित विदेश निति है उसे यूँ ही रखा जाय, भारत को भी बीटो पावर का प्रयोग करने के लिए सयुक्त राष्ट्र संघ में दावा पेश करने कि पहल किया जाना आपेक्षित है इसलिए कि अगर हम उपभोक्ता वाजार है तो जिन विकसित देशों के द्वारा अधिकाधिक पूंजी का उगाही कि जाती है उन देशों के द्वारा एक विशेष दर्जा दिया जाना आपेक्षित है,जनसंख्या के दृष्टिकोण से हम महत्वपूर्ण स्थान रखतें है अत: हमारे मानव श्रम को पूंजी का आधार माना जाय और विकाशशील से विकसित कि श्रेणी में यह कैसे परिवर्तित होगा इसपर एक्सपर्ट से ओपिनियन लिया जाय जो आपेक्षित है
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन मिलिए १६ वीं लोकसभा की नई अध्यक्षा से - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteDesh evam nagariko ke vikas hetu in muddo par sarkar ko nitiya banani chahiye.
ReplyDeleteDesh evam nagariko ke vikas hetu in muddo par sarkar ko nitiya banani chahiye.
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