मै अतीत हूँ
वर्तमान होने को प्रस्तुत
इसके अंतर की कड़ी
एक भोगा गया सत्य है।
कल के उजाले में कौन नहीं था
सभी थे
समय था
वही धरती थी
वही आसमा था
आज भी वही सब कुछ है
एक पतली रेखा जो अंतर स्थापित करती है
कल और आज में
जानता हूँ इस रहस्य को
आज फिर कल हो जाएगा
समय का घटनाक्रम
रोके न रुक पायेगा
कुछ अमिट छाप मानस पटल के आकाश पर
जो अतीत वर्तमान भविष्य से अप्रभावित
अपने रेखांकन में
अपने अस्तित्व के साथ
घात
प्रतिघात
जन्मजात
आज और कल
प्रतिपल
बदलाव
कल का बदलना
आज का अतीत है
सुन्दर रचना हैं
ReplyDeleteघात
ReplyDeleteप्रतिघात
जन्मजात
आज और कल
प्रतिपल
बदलाव
कल का बदलना
आज का अतीत है
बहुत सुन्दर रचना रवि जी ...अभिनंदन ..!!
बहुत अच्छी अभिव्यक्ति रवि भाई !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर पाण्डेय जी, आपके चिंतन पर नतमस्तक !
ReplyDeleteबदलाव
ReplyDeleteकल का बदलना
आज का अतीत है Waaah
Bahut khoob ... Aaj aur kal ke badlav ko bakhoobi shabdon mein bandha hai ...
ReplyDeleteसुन्दर!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति । समय का घटनाक्रम....आज फिर कल हो जायेगा।
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